भारत में डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन बैंकिंग के बढ़ते चलन के साथ ही अवैध लोन ऐप्स की समस्या भी गंभीर रूप लेती जा रही है। ये ऐप्स आसान कर्ज के लालच में फंसे लोगों को शोषण का शिकार बना रहे हैं, जिससे कई लोगों की जिंदगी तबाह हो रही है।
कैसे काम करते हैं ये ऐप्स?
ये अवैध लोन ऐप्स आमतौर पर प्ले स्टोर या अन्य प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध होते हैं। ये ऐप्स तेजी से कर्ज देने का वादा करते हैं, जिसमें न्यूनतम कागजी कार्रवाई की आवश्यकता होती है। हालांकि, इन ऐप्स के जरिए दिए जाने वाले कर्ज पर बहुत अधिक ब्याज दरें लगाई जाती हैं। साथ ही, यदि उधारकर्ता समय पर भुगतान नहीं कर पाता है, तो उसे धमकियां दी जाती हैं और उसके निजी डेटा का गलत इस्तेमाल किया जाता है।
उधारकर्ताओं पर प्रभाव
कई मामलों में, उधारकर्ताओं को ऐप्स द्वारा उनके संपर्क सूची में मौजूद लोगों को संदेश भेजकर या फोन करके प्रताड़ित किया जाता है। कुछ मामलों में तो उधारकर्ताओं को आत्महत्या तक के लिए मजबूर होना पड़ा है। ये ऐप्स उधारकर्ताओं की निजी जानकारी जैसे फोटो, संपर्क सूची और यहां तक कि उनके बैंक विवरण तक का दुरुपयोग करते हैं।
सरकार और नियामकों की प्रतिक्रिया
इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कदम उठाए हैं। RBI ने डिजिटल लोन देने वाली कंपनियों के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसमें डेटा गोपनीयता और उधारकर्ताओं के अधिकारों की सुरक्षा पर जोर दिया गया है। साथ ही, सरकार ने कई अवैध ऐप्स को बैन भी किया है।
उपभोक्ताओं को सतर्क रहने की जरूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि उपभोक्ताओं को ऐसे ऐप्स का इस्तेमाल करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए। उन्हें केवल RBI द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाओं से ही कर्ज लेना चाहिए। साथ ही, किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसकी समीक्षाएं और रेटिंग्स जरूर चेक करनी चाहिए।
निष्कर्ष
अवैध लोन ऐप्स की समस्या भारत में एक गंभीर चुनौती बन गई है। इससे निपटने के लिए सरकार, नियामकों और उपभोक्ताओं को मिलकर काम करने की जरूरत है। तभी इस अंधेरे संसार से लोगों को बचाया जा सकता है और उन्हें सुरक्षित और पारदर्शी वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं।